Sunday, November 3, 2024

कहानी : सपनों, असफलताओं और अस्वीकृतियों - वाकिन मैनपावर सॉल्यूशन

 


लेखक के बारे में

मुकेश तंवर वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं, जो एक भर्ती फर्म है, जो भारत भर में आकांक्षी पेशेवरों को महत्वपूर्ण इंटर्नशिप के अवसरों से जोड़ने के लिए समर्पित है। कॉर्पोरेट प्रबंधन के क्षेत्र में पृष्ठभूमि के साथ, मुकेश नौकरी तलाशने वालों और छात्रों को उनके करियर को नेविगेट करने में आने वाली चुनौतियों को समझते हैं। एक स्वस्थ कार्य वातावरण बनाने और प्रतिभा को बढ़ावा देने के प्रति उत्साही, मुकेश दूसरों को आत्मविश्वास और सहनशीलता के साथ अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करने का लक्ष्य रखते हैं। मेंटरशिप और ईमानदारी के प्रति प्रतिबद्धता के माध्यम से, मुकेश काम के भविष्य को आकार देने और व्यक्तियों को उनकी क्षमता का एहसास कराने के लिए समर्पित हैं।

मेरे सफर की शुरुआत तब हुई जब मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहा था। उस समय यह निर्णय लेना आसान नहीं था कि मैं नौकरी से बिजनेस की तरफ कदम बढ़ाऊं। विचार तो सभी के पास होते हैं, पर उनका सही से क्रियान्वयन वही कर पाता है जिसे उनकी असली अहमियत का अहसास हो जाता है। मुझे ये अहसास तब हुआ, जब नौकरी का हेक्टिक वर्क प्रेशर, एंग्जायटी और स्ट्रेस मुझे ज्यादा महसूस होने लगा। पहले भी महसूस होता था, पर तब यही सोचकर रुक जाता था कि “सभी लोग नौकरी कर रहे हैं, मैं उनसे अलग नहीं हूँ, मैं भी कर लूँगा।”

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, स्ट्रेस और एंग्जायटी बढ़ने लगी। यहाँ तक कि ऑफिस में बैठना भी मुश्किल हो गया, लेकिन कम से कम एक महीने की सैलरी आ रही थी, यह सोचकर रुका रहा। एक मिडिल क्लास व्यक्ति के लिए अपने माता-पिता की मेहनत और शिक्षा में निवेश को देखते हुए, छोड़ने का निर्णय लेना कठिन था। फिर भी, एक सीमा तक स्ट्रेस हो जाने के बाद मुझे महसूस हुआ कि इस माहौल में लंबे समय तक टिकना मुश्किल है। किसी एक इंसान को दोष देना सही नहीं होता। समस्याएँ कॉरपोरेट सिस्टम या टॉप लेवल मैनेजमेंट में होती हैं। अगर उच्च स्तर से अपने अधीनस्थों के प्रति सही व्यवहार किया जाए, तो हर किसी का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। जब वर्क-लाइफ बैलेंस को केवल एक औपचारिकता के तौर पर लिया जाए, तो टॉक्सिक एनवायरनमेंट और असंतुलन होना तय है।

यही सोचते हुए मैंने "वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन" का सेटअप किया। मेरा उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं था बल्कि एक ऐसा वातावरण बनाना था जहाँ ऊपर से नीचे तक सभी का वर्क-लाइफ बैलेंस ठीक रहे। मैंने इस बात का भी ध्यान रखा कि सभी कर्मचारियों का मन काम से न हटे और वे खुशी से अपना काम करें। इसके साथ, मैंने एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जिससे छात्रों के करियर को सही दिशा मिल सके और उनमें जरूरी स्किल्स का विकास हो।

शुरुआती दिनों में, जब मैंने वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन की नींव रखने का संकल्प लिया, तो मैंने एक रिक्रूटमेंट फर्म के रूप में इसे स्थापित करने की शुरुआत की। कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया और महत्वपूर्ण कदम जैसे वेबसाइट बनवाना, नेटवर्क तैयार करना, डेटाबेस पर काम करना, और कंपनी सहयोग योजनाएँ बनाना, इन सभी पर ध्यान केंद्रित किया। जब कंपनी स्थापित हो गई, तो इसके विकास और नेटवर्क विस्तार पर जोर दिया। धीरे-धीरे इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू किया, कंपनियों से कनेक्शन बनाए, और नई रणनीतियों पर काम करना शुरू किया ताकि उन्हें सही तरीके से अमल में लाया जा सके।

समय के साथ चुनौतियाँ सामने आने लगीं। हर चुनौती को अवसर मानकर उसे स्वीकार किया और डटकर उसका सामना किया। समस्याएँ और असफलताएँ कई बार आईं, लेकिन इस रास्ते पर चलते रहने की उम्मीद को कायम रखा। शुरुआती तीन महीने सबसे कठिन रहे, क्योंकि सबसे बड़ी चुनौती खुद को प्रेरित रखना था, और मेरे पास कोई और विकल्प भी नहीं था—यह करना ही था, चाहे कुछ भी हो। कई बार बिना सोए ही नया दिन शुरू हुआ, लेकिन यही निरंतर प्रयास मुझे और वॉक-इन को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता। कई बार गिरा, फिर संभला, अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाकर हर बाधा को पार किया। और आज, उस सफर पर हूँ जहाँ मुझे विश्वास है कि एक दिन मेरे सभी देखे हुए सपने जरूर पूरे होंगे।

यह वो समय था जब वॉक-इन में छात्रों ने एचआर इंटर्नशिप करना शुरू किया, और मेरा असली नेतृत्व कौशल निखर कर सामने आया। मैंने अपने पिछले अनुभव से यह सीखा कि चाहे जो भी हो, मैं अपनी टीम के लिए कभी एक बॉस नहीं बनूंगा क्योंकि बॉस होना सिर्फ एक टाइटल है; असल में एक अच्छा लीडर होना ज़रूरी है। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मेरे लीडरशिप स्किल्स में सुधार आता गया। जैसे ही छात्रों ने वॉक-इन में इंटर्नशिप शुरू की, मैनपावर का एक मज़बूत आधार तैयार हो गया, जो मेरे लिए एक ठोस सहारा बना। इस मोड़ पर मैंने कंपनी के ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि कंपनी के सही प्रबंधन के लिए एक सशक्त हायरार्की बेहद ज़रूरी थी। साथ ही, कंपनी के नए सहयोग भी बनने लगे और प्रोजेक्ट्स मिलने लगे। मुझे यह एहसास हो चुका था कि अगर वॉक-इन को अन्य रिक्रूटमेंट फर्मों से बेहतर बनाना है, तो सेवाओं की गुणवत्ता सर्वोपरि होनी चाहिए।

मैंने यह सुनिश्चित किया कि कंपनियों को सबसे कुशल और योग्य उम्मीदवार मिलें। साथ ही, जो फ्रेशर हमारे साथ जुड़ रहे थे, उन्हें मैंने रिक्रूटमेंट प्रक्रिया और एचआर इंटरव्यू के तरीके सिखाने शुरू किए, ताकि वे इस क्षेत्र में अनुभव और कौशल हासिल कर सकें। इसी उम्मीद के साथ कि वॉक-इन का एक पैन इंडिया मज़बूत नेटवर्क बने और मैं हर दिन अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकूं।

जब हम किसी क्षेत्र में कदम रखते हैं और उसे व्यवहारिक रूप में लागू करते हैं, तब हमें असली समझ होती है कि हम उस कार्य में कितने सक्षम हैं, अपने लक्ष्य के कितने करीब हैं और किन क्षेत्रों में हमें और मेहनत की जरूरत है। जैसे-जैसे नई चीजों का अनुभव होने लगा, उसी के साथ चुनौतियाँ भी आने लगीं, जिन्हें समझना और उन पर कारगर तरीके अपनाना कई बार कठिन साबित हुआ। इस पूरी यात्रा को धैर्य की परीक्षा कहना गलत नहीं होगा। हर दिन एक नई चुनौती का सामना करना, कई बार फेल होना, और फिर से खड़े होकर आगे बढ़ना—यह सब मेरे अंदर के धैर्य और संकल्प का परीक्षण कर रहे थे। यह सफर मेरे धैर्य और मानसिक शक्ति का इम्तिहान ले रहा था, लेकिन हर गिरावट के बाद उठने की चाह ने मुझे अंदर से मजबूत बनाया। एक महत्वपूर्ण सीख मिली कि चुनौतियाँ जितनी बड़ी होती हैं, इरादों का बुलंद होना उतना ही जरूरी है।

कई बार ऐसा होता था कि निराशा हाथ लगती, मन में असमंजस होता कि क्या मैं सही राह पर हूँ, लेकिन कुछ देर रुककर, स्थिति का विश्लेषण कर, फिर से प्रयास करने का साहस जुटाता और धीरे-धीरे आगे बढ़ता चला गया। जब कोई नई चीज शुरू करते हैं, तो तुरंत सब हासिल नहीं होता, लेकिन हर छोटे कदम ने मुझे आत्मविश्वास से भर दिया और मेरे अंदर की मजबूती को बढ़ाया। इस पूरी प्रक्रिया ने मुझे अंदर से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया। इस सफर के हर उतार-चढ़ाव ने मुझे सिखाया कि रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन अगर इरादे मजबूत हों, तो हम हर चुनौती को पार कर सकते हैं। इस समय को मैं जितना भी श्रेय दूँ, वो कम ही होगा, क्योंकि इसने मुझे संकल्पित और आत्मविश्वासी बना दिया।

यह वो समय था जब कंपनी को लगभग तीन महीने पूरे हो चुके थे। हमारे साथ कई छात्र अपनी इंटर्नशिप में प्रशिक्षण ले रहे थे और अपनी स्किल्स को निखारने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। इसी दौरान, एक महत्वपूर्ण बात जो मैंने अनुभव की, वह यह थी कि किसी भी संगठन के लिए एक सशक्त नेतृत्व कितना आवश्यक है। हालांकि मैं खुद को परिपूर्ण नहीं मानता, लेकिन जो कुछ भी मैंने सीखा, उसे साझा करना चाहता हूँ—एक सच्चे लीडर की भूमिका केवल निर्देश देने तक सीमित नहीं होती, बल्कि अपनी टीम को सही दिशा देना और हर कदम पर उनका साथ निभाना भी होती है। एक अच्छा लीडर वह होता है, जो बड़ी से बड़ी समस्याओं को पहले खुद समझता है, उसे छोटे-छोटे कार्यों में बांटता है, और अपनी टीम को इसे पूरे आत्मविश्वास के साथ करने के लिए प्रेरित करता है। लीडर का असली उद्देश्य अपनी टीम को समझाना और उन्हें इतना सशक्त बनाना होता है कि वे खुद में विश्वास के साथ किसी भी काम को पूरा कर सकें। अगर गलती होती है, तो वह उनका मार्गदर्शन करने के साथ उनका सहयोग भी करता है, उनके लिए एक सहारा और सुरक्षा का प्रतीक बनता है।

जैसा व्यवहार मैंने अपनी टीम के साथ अपनाया, वैसे ही मेरे अन्य लीडर्स ने भी अपनी टीमों के साथ किया। इसका नतीजा यह हुआ कि आज वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन में एक सशक्त, सहयोगी और समर्पित टीम का निर्माण हो चुका है, जो न केवल बेहतरीन परिणाम देने के लिए सक्षम है, बल्कि एक-दूसरे के साथ खड़ी भी रहती है। जहाँ भी सुधार की जरूरत महसूस हुई, मैंने समय पर कदम उठाए, और यह यात्रा आगे भी इसी सोच और दृष्टिकोण से जारी रहेगी।

यह वह समय था जब वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन ने पूरे भारत में एक प्रभावी नेटवर्क बनाने के लिए गंभीरता से कदम उठाना शुरू किया। विभिन्न राज्यों के छात्रों ने इंटर्नशिप के लिए आवेदन करना शुरू किया। हमारी इंटर्नशिप का मुख्य उद्देश्य कंपनियों और विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुशल मैनपावर प्रदान करना था, क्योंकि गुणवत्ता पर ध्यान देने से हमारी कंपनी को जल्दी ही एक प्रतिष्ठा स्थापित करने में मदद मिल सकती थी। जब मैंने कंपनी की शुरुआत की, तो एक महत्वपूर्ण चुनौती यह थी कि भारत में कंसल्टेंसी की छवि काफी नकारात्मक थी। कई कंसल्टेंसी छात्रों से इंटरव्यू के नाम पर पैसे वसूलती थीं, जिससे भ्रम पैदा होता था। यह स्थिति मेरे जैसे कंसल्टेंट्स पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही थी और छात्रों का इन कंसल्टेंसी पर भरोसा घटता जा रहा था। हम इसे पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते थे, लेकिन हमें इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता थी।

जैसे-जैसे वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन आगे बढ़ा, जिन छात्रों ने यहाँ इंटर्नशिप की, उनके साथ विश्वास का निर्माण होने लगा। उनकी सकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण, वे हमें संदर्भ के रूप में अधिक आवेदन करने लगे। हमने अपनी सेवा की गुणवत्ता पर जोर दिया और यह सुनिश्चित किया कि सभी छात्र और कंपनियाँ संतुष्ट रहें। इसके परिणामस्वरूप, वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन का नेटवर्क तेजी से बढ़ता गया। इस सफर में हमें न केवल छात्रों का समर्थन मिला, बल्कि विभिन्न कंपनियों का भी सहयोग प्राप्त हुआ। इस तरह, वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन को एक मजबूत पहचान मिल रही थी, और हम अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते जा रहे थे।

जब भी कोई अपनी कंपनी शुरू करता है, सबसे बड़ा कारण होता है मुनाफा बढ़ाना और आमदनी करना। नए बिज़नेस के लिए आमदनी होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि शुरुआती दौर में कई लोग इसी वजह से हार मान लेते हैं। यह सच है कि जितना जरूरी एक आइडिया, योजना, कार्यान्वयन और सुधारात्मक कदम हैं, उतना ही जरूरी है बिज़नेस को स्थिर और जिन्दा रखना। बिज़नेस करना जोखिम भरा होता है और हर पल हमारी सहनशक्ति की परीक्षा होती है। जो हर उतार-चढ़ाव को समझता है, वही सफल होता है। क्योंकि कुछ भी स्थायी नहीं होता, बिज़नेस समय और मेहनत मांगता है। हमें तय करना होता है कि हमें आगे बढ़ना है या पीछे हटना है।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन में भी मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मैंने इसे करीब से महसूस किया जब मैं काम कर रहा था, और ऐसे समय आए जब मुझे लगा कि मुझे वापस लौट जाना चाहिए। लेकिन एक प्रतिशत उम्मीद के सहारे, मैं आगे बढ़ता गया। कभी गिरा, कभी खुद को संभाला, फिर उठा। सच में, बिज़नेस सहनशीलता की परीक्षा लेता है, जो आपको अंदर से मजबूत बनाता है। कभी-कभी ऐसा हुआ कि बिना सोए ही सुबह हो गई। हर दिन एक नया सबक लेकर आया। इस पूरे सफर का श्रेय मैं समय को देना चाहूंगा, जिसने मुझे चुनौतियों का सामना करने का मौका दिया। समय ने मुझे सिखाया कि धैर्य रखना और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना कितना जरूरी है। हर चुनौती ने मुझे मजबूत बनाया और मैंने हर अनुभव से कुछ न कुछ सीखा। आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन को आगे बढ़ाने में जो भी प्रयास किए हैं, वो सभी मेरी व्यक्तिगत और व्यावसायिक वृद्धि का हिस्सा हैं।

जैसे-जैसे वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन पूरे भारत में अपनी पहचान बना रहा था, एक सशक्त प्रोफेशनल नेटवर्क भी तैयार हो रहा था। किसी भी काम को प्लान करने और एग्जीक्यूट करने जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही ज़रूरी है उसमें लगातार बने रहना। कई बार हम सफलता के करीब होते हैं, परंतु धैर्य और संकल्प के बिना उस तक नहीं पहुंच पाते। अगर हमारा लक्ष्य स्पष्ट हो और हमारे अंदर धैर्य हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। इस सफर में समय जरूर लगता है, पर हर अनुभव एक गहरी सीख देकर जाता है। इस यात्रा ने मुझे मानसिक रूप से और भी सशक्त बना दिया है, और मुझे यकीन है कि यह सीख जीवनभर मेरे साथ रहेगी।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन का उद्देश्य सिर्फ आय उत्पन्न करना नहीं था, बल्कि एक ऐसा मंच तैयार करना था, जहाँ मैं एक मेंटर के रूप में छात्रों को इंटर्नशिप का अवसर देकर उनके करियर को सही दिशा दे सकूं। मेरी हमेशा यह इच्छा रही है कि मेरे साथ जुड़े लोग न सिर्फ अपने करियर को लेकर प्रेरित रहें, बल्कि वे अपनी चुनौतियों को समझकर उन पर ठोस कदम उठाएं और आत्मनिर्भर बनें। अधिकांश छात्रों ने इन बातों को समझा और अपने व्यक्तित्व व व्यवहार में सकारात्मक बदलाव महसूस किया। जैसे-जैसे उनका इंटर्नशिप पीरियड समाप्त हुआ, उन्होंने अपने अंदर उन बदलावों को देखा जो उनके करियर में ही नहीं, बल्कि उनकी निजी जिंदगी में भी लाभकारी साबित हुए।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि लोग अपने करियर की पहली सीढ़ी वॉक-इन के माध्यम से चढ़ रहे हैं। यह एक माइलस्टोन है, जो दर्शाता है कि वॉक-इन सिर्फ एक कंपनी नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है जो हर जुड़ने वाले को एक नई शुरुआत, मार्गदर्शन, और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन ने न केवल कंपनियों को कुशल मैनपावर सपोर्ट प्रदान किया बल्कि छात्रों को आत्मनिर्भर और आत्म-प्रेरित बनने में भी मदद की। शुरुआत में, कई छात्र अपने विचारों को व्यक्त करने में झिझकते थे, लेकिन वॉक-इन में शामिल होने के बाद उनमें गहरा बदलाव देखा गया। उन्होंने स्वयं यह अनुभव किया कि यहाँ सीखने से न केवल उनकी सोचने-समझने की क्षमता बढ़ी, बल्कि बातचीत और आत्मविश्वास में भी सुधार हुआ। जैसे-जैसे छात्र यहाँ से सीखते जा रहे थे, उनका मनोबल मजबूत हो रहा था और इसी के साथ वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन भी सुदृढ़ हो रहा था।

छात्रों में आए इस सकारात्मक बदलाव ने मुझे भी प्रेरित किया। इससे आगे बढ़ते हुए, हमने अलग से मोटिवेशनल सेशन आयोजित करने का निर्णय लिया। इन सेशनों का उद्देश्य सिर्फ उन्हें मेरे विचारों से प्रेरित करना नहीं था, बल्कि छात्रों को अपनी सीखने की यात्रा को अपने साथियों के साथ साझा करने का मौका देना भी था। इससे न केवल उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई, बल्कि वे एक-दूसरे से सीखकर अपने कार्य और संवाद में और भी निपुण होते गए। वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के लिए यह एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है। यह केवल एक ऊंचाई तक पहुँचने का माध्यम नहीं है, बल्कि उसने लोगों का विश्वास और आशीर्वाद भी अर्जित किया है। कहते हैं, जहाँ सकारात्मकता होती है, वहाँ कुछ न कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं। लेकिन हर चुनौती ने हमें एक नई सीख दी और हमें आगे बढ़ने का साहस दिया। यह सफर बताता है कि वॉक-इन सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच है, जो अपने साथ जुड़े हर व्यक्ति को आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और सफलता की दिशा में प्रेरित करता है।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन की हायरार्की इस तरह तैयार की गई है कि पूरे भारत के छात्र यहाँ जुड़ना चाहते हैं, सीखना चाहते हैं, और अपने करियर में आगे बढ़ना चाहते हैं। वॉक-इन से जुड़ने के बाद, कई छात्रों ने अपने भीतर सकारात्मक बदलाव महसूस किए हैं। इस बदलाव ने न सिर्फ उन्हें प्रोफेशनल रूप से आगे बढ़ने में मदद की, बल्कि उनकी सोच और दृष्टिकोण में भी सुधार किया। यह देखकर मुझे भी बहुत प्रेरणा मिली। कई कॉलेजों के छात्र हमारे साथ जुड़े और यहाँ से उन्होंने नई स्किल्स और ज्ञान प्राप्त किया। इसका सबसे बड़ा कारण कंपनी का वर्क-लाइफ बैलेंस, सकारात्मक वर्क एनवायरनमेंट और सपोर्टिव स्टाफ है। छात्रों को यहाँ एक ऐसा सुरक्षित और प्रेरणादायक माहौल मिला, जहाँ वे अपने करियर की शुरुआत अच्छे से कर सकते हैं। यह अनुभव उनके भविष्य के लिए भी लाभकारी साबित हो रहा है। कई छात्रों ने वॉक-इन में बिताए अपने समय को अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ भी साझा किया, जिससे और लोग यहाँ आवेदन करने के लिए प्रेरित हुए।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के लिए यह किसी माइलस्टोन से कम नहीं है कि हम न केवल देश भर में अपनी पहचान बना पाए हैं, बल्कि हमने एक मजबूत भरोसा और आशीर्वाद भी अर्जित किया है। इस सफर ने हमें यह समझने का मौका दिया कि किसी के करियर में सकारात्मक बदलाव लाना कितना महत्वपूर्ण है। वॉक-इन न सिर्फ एक कंपनी है, बल्कि एक ऐसा मंच बन चुका है, जो हर जुड़ने वाले को आत्मविश्वास और एक नई दिशा देने का काम करता है।

ये सच है कि जब हम नौकरी करते हैं, तो आठ से नौ घंटे का समय भी मुश्किल लगता है। लेकिन जब मैंने वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन की शुरुआत की, तो बारह से पंद्रह घंटे काम करना आम हो गया। सुनने में ये थोड़ा चौंकाने वाला लग सकता है, लेकिन जब आप अपना कुछ नया शुरू करते हैं, तो उसे आगे बढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी आपकी होती है। अगर हम रुक जाएं, तो हमारे पास कोई और विकल्प नहीं होता। इसी समर्पण और लगन के साथ वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन की नींव रखी गई थी। कहते हैं कि दृढ़ता से किया गया हर छोटा प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकता है। इस सफर में मैंने महसूस किया कि हर छोटी कोशिश ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। यही अनुभव मैं इस बायोग्राफी के जरिए साझा करना चाहता हूँ।

कोई भी काम शुरू करते समय चार बातें बेहद अहम होती हैं: आइडिया, प्लानिंग, एक्जीक्यूशन, और करेक्टिव एक्शन। मैं खुद को परफेक्ट नहीं कह सकता, लेकिन जितना सीखा, वो वॉक-इन को आगे बढ़ाने में सहायक साबित हुआ। वॉक-इन की ये यात्रा मेरे लिए केवल एक बिज़नेस नहीं, बल्कि एक ऐसा सफर बनी, जिसने मुझे अंदर से मजबूत बनाया और मेरे भीतर सीखने की जिज्ञासा को और गहरा किया।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन को सही मायनों में मजबूती तब मिली जब उत्तर भारत, पश्चिम भारत, पूर्वी भारत, और दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों से छात्र इससे जुड़ने लगे। इन सभी क्षेत्रों के छात्रों ने वॉक-इन से जुड़कर अपने अनुभवों को समृद्ध किया। उनके लिए एक आरामदायक माहौल बनाने के लिए अलग-अलग समूह बनाए गए, ताकि वे अपने क्षेत्र के हिसाब से सहज महसूस कर सकें और खुलकर जुड़ सकें।

इस दौरान, कई प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ हमारा सहयोग भी बढ़ा, और वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन ने आईटी, नॉन-आईटी, बैंकिंग, एमएनसी, और एनबीएफसी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। सालभर में वॉक-इन ने न केवल छात्रों को इंटर्नशिप, लोगों को नौकरियां, और कंपनियों को बेहतरीन मैनपावर मुहैया कराया, बल्कि बहुत कम समय में पूरे देश में अपनी मजबूत पहचान भी बना ली। इसके साथ ही, कई कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों से वॉक-इन के लिए सहयोग के प्रस्ताव भी आने लगे, जो हमारे प्रयासों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। ये छोटी-बड़ी सफलताएं मुझे न केवल आगे बढ़ने का साहस देती रहीं, बल्कि वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन को ऊंचाइयों तक पहुंचाने की प्रेरणा भी। आज, वॉक-इन अपने इस सफर में निरंतर आगे बढ़ रहा है, एक सशक्त मंच के रूप में स्थापित हो रहा है, और हर कदम के साथ एक नई पहचान बना रहा है।

वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के हर उतार-चढ़ाव में एक गहरी सीख छिपी हुई है। इस यात्रा ने न केवल मुझे मज़बूत बनाया, बल्कि कई छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में एक बेहतर दिशा दी। यह सच्चाई है कि ज़िंदगी हमें चुनौतियों का सामना करने के लिए चुनती है, हमें गिराने के लिए नहीं, बल्कि हमें यह दिखाने के लिए कि क्या हम हर परिस्थिति का सामना करने के काबिल हैं। जीवन का उद्देश्य हमें परखना है कि हम अपनी प्रतिक्रिया किस तरह देते हैं—हम गिरते हैं या उठते हैं, ये पूरी तरह हम पर निर्भर करता है कि हम कितने मज़बूत या कमजोर हैं।

हर मोड़ पर हमें सीखने का अवसर मिलता है, लेकिन वॉक-इन की यात्रा में हर कदम पर एक बेहतरीन सीख छिपी हुई थी। इस सफर ने मुझे वह ताकत और आत्मविश्वास दिया, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के साथ इस यात्रा का हिस्सा बनने का अवसर मिला। मैंने खुद को हर परिस्थिति में बेहतर से बेहतर देने की कोशिश की, ताकि इस मंच को वह पहचान मिले, जो उसने मुझे दी है।

इस दौरान, न सिर्फ मैंने खुद को परखा बल्कि अपने काम से जुड़े हर व्यक्ति को भी प्रेरित करने की कोशिश की। मेरा लक्ष्य हमेशा यह रहा है कि वॉक-इन के हर पहलू में पूरी मेहनत और लगन से योगदान दूं। यह सफर केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक अद्भुत अनुभव रहा है, जिसने मुझे और भी अधिक मज़बूत और प्रेरित किया है।


जारी रहेगा ...




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कहानी : सपनों, असफलताओं और अस्वीकृतियों - वाकिन मैनपावर सॉल्यूशन

  लेखक के बारे में मुकेश तंवर वॉक-इन मैनपावर सॉल्यूशन के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं, जो एक भर्ती फर्म है, जो भारत भर में आकांक्षी पेशेवरो...